उल्कापिंड क्या होते है ? उल्कापिंड पृथ्वी की कक्षा से जाएगा या टकराएगा ऐसा क्यों कहा जाता है? Types of Meteorites?

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाइट OKTECHGALAXY पर आपका फिर से एक बार स्वागत है। । दोस्तो आप ने कई सारे न्यूज़ में या फिर वीडियो में यह देखा होगा कि कोई एंड्रॉयड या उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने वाला है। या फिर पृथ्वी के आसपास से जाने वाला है। ऐसे कई सारे न्यूज़ आपने देखे होंगे तो मैंने भी ऐसे कई सारे रेडियो और न्यूज़ देखे है। क्योंकि मुझे ऐसी इंफॉर्मेशन इकट्ठा करना पसंद है।

पर जब मैं ऐसे न्यूज़ के कमेंट बॉक्स में देखता हूं तो काफी सारे लोगों के काफी गलत कमेंट होते है। या फिर उन लोगों को उल्कापिंड और के बारे में काफी कम जानकारी होती है। और हमारे वेबसाइट भी तो गैलेक्सी पर काफी सारे पोस्ट पब्लिश करती है। तो यह पॉइंट भी हम मिस नहीं करेंगे । आप लोगों को उल्कापिंड के बारे में पूरी जानकारी देना हमारे वेबसाइट का पहला कर्तव्य है। क्योंकि अधिक और विस्तार से जानकारी देना यही हमारा पहला मकसद होता है।

तो उल्कापिंड के बारे में भी आज हम काफी सारी जानकारी आपको देंगे । इस पोस्ट में उसका पृथ्वी के पास से क्यों चला जाता है। या फिर पृथ्वी से टकराने वाला है। ऐसी संभावनाएं क्यों होती है। या फिर न्यूज़ चैनल आधी ही हेडिंग के साथ ऐसी बातें क्यों बताते है। इसके बारे में आज का यह पूरा पोस्ट है। सबसे पहले आपको इस पोस्ट से उसका और उल्कापिंड के बारे में क्या कुछ नया इंटरेस्टिंग और यूज़फुल जानने को मिलेगा इसके बारे में मैं आपको पॉइंट बता देता हूं । बाद में हम उन पॉइंट पर भी काफी विस्तार से जानकारी लेंगे ।

What are meteorites? Types of Meteorites? Why is it said that a meteorite is going to orbit the Earth? Why is a meteorite hit? Why is the meteorite supposed to hit the Earth?

उल्कापिंड क्या होते है ?

उल्कापिंड के प्रकार

उल्का पिंड पृथ्वी की कक्षा से जाने वाला है ऐसा क्यों कहते है?

उल्का पिंड पृथ्वी से टकराएगा ऐसा क्यों कहा जाता है?


1 ] उल्कापिंड क्या होते है ?


दोस्तों उल्कापिंड वह होते है जो किसी भी ग्रह का हिस्सा नहीं होते है। एक ऐसी चीज जो पूरी तरह से पत्थर से, मेटल से, अलग अलग धातु या कार्बन या फिर पानी से बनी हो और उसे किसी भी जगह पर ठहरने के लिए एक पर्याप्त जगह ना मिले । वह चीज अंतरिक्ष में घूमती रहती है। और तब तक नहीं रुकती जब तक वह किसी और चीज से टकरा नहीं जाती या फिर तब तक घूमना शुरू नहीं करती जब तक किसी दूसरे ऑब्जेक्ट से टकरा नहीं जाती ।


यानी एस्ट्रॉयड का घूमना या फिर रुकना यह दोनों चीजों के लिए भी बाहरी ऑब्जेक्ट या पदार्थ से सीधा कनेक्शन आना चाहिए । दोस्तों एस्ट्रॉयड का यह घूमना कई करोड़ सालों से चलता आ रहा है। वह एक बेल्ट की तरह काम करता है। जो एक सीमित अंतर तक चक्कर लगाता है। यह एस्टेरॉयड बेल्ट यानी कि एस्ट्रॉयड का पूरा समूह ही एक साथ घूमता है।


और पूरे ब्रह्मांड या सुर्यमाला का चक्कर लगाता रहता है। जब यह उल्का एक दूसरे से टकराते है। तो ही अपना रास्ता बदलते है क्योंकि रास्ता बदलने के लिए एस्ट्रॉयड के पास दूसरा कोई माध्यम नहीं होता है। और जीरो ग्रेविटी की वजह से वह अंतरिक्ष में सिर्फ घूमते रहते है। जब उसे बाहरी टकराव मिल जाता है। तो उसे रास्ता बदलने का मौका मिलता है।


यह उल्का एस्ट्रॉयड से आकार में छोटे होते है। और यह तब बनते है। जब दो एस्ट्रॉयड में या एस्ट्रॉयड के समूह में टकराव होता है। हमें जो पृथ्वी पर आते हुए उल्का देखते है। वह इन्हीं उल्कापिंड में से निकले हुए उल्का होते है। हमें यह उसका टूटते तारे की तरह नजर आते है। क्योंकि पृथ्वी के वातावरण में आते ही वह पृथ्वी का दबाव और वातावरण साथ में ऑक्सीजन की वजह से वह आग पकड़ते है। और इसी के चलते हुआ हमें टूटते तारे की तरह नजर आते है।


2 ] उल्कापिंड के आकार अनुसार प्रकार


दोस्तों हमें आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर काफी स्पीड से से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते या टकराते हुए जो पिंड देखने को मिलते है। हालांकि इन्हें सब लोग नहीं देख पाते है। पर आप वीडियो और टेलीविजन द्वारा वह दृश्य भी देख सकते हो । उन्हें उल्का (meteor) और साधारण भाषा में उसे लूका कहते है।


वहीं उल्काओं का पृथ्वी की ग्रेविटी की वजह से वायुमंडल में ही जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है। उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते है।. कई सारे लोगों को उल्का पिंडों के छोटे-छोटे टुकड़े यानी meteorite ही मिलते है। जिन्हें बेचकर काफी सारे लोग पैसे कमाते है। इसका फायदा होता है। कि यह उल्का पिंड कितने साल पुराना है।


उसमें पानी की मात्रा थी या नहीं? उसमें किस तरह का मेटल है। इस तरह के वायु है। इसका पता लगाने में रिसर्च होती है। इससे वैज्ञानिकों को दूसरे ग्रह तलाशने में काफी सारी मदद होती है। इसलिए उल्का पिंडों की कीमत करोड़ों में होती है। कम से 1 ग्राम की कीमत $1000 ।



ऊपर दी गई फोटो में उल्का, उल्कापिंड, कॉमेंट, एस्ट्रॉयड की स्थिति के अनुसार उनके नाम किस तरह से आते हैं उसका लिस्ट दिया है । दरअसल यह पोस्ट नीचे काफी लंबा होने वाला है इसलिए मैंने फोटो ही दिया है । अगर इस फोटो द्वारा आपको जानकारी ना मिले तो मुझे कमेंट करें हम इस विषय पर यानी कि उल्का के आकार अनुसार प्रकार क्या है ? उस पर भी एक बड़ा पोस्ट लेकर आएंगे ।


3 ] उल्का पिंड पृथ्वी की कक्षा से जाने वाला है, ऐसा क्यों कहते है ?


दोस्तों हमारे जो वैज्ञानिक होते है। वह स्पेस रिसर्च एजेंसीज में काम करते है। यहां तक तो आपको पता है। पर स्पेस इस रिसर्च एजेंसीज में काफी एडवांस और ताकतवर मशीन या कंप्यूटर साथ में उनमें सॉफ्टवेयर भी काफी बड़े होते है। जब भी कोई स्पेस शटल या मिशन को अंतरिक्ष में भेजा जाता है। तो वह अपने जीवन काल में कई करोड़ किलोमीटर का अंतर पार करता है।


यानी कि उतना अंतर वह काट लेता है। उनमें से वह कितनी देर तक काम कर रहा है इतनी देर तक फोटोस और वीडियोस को पृथ्वी पर भेजता है और स्पेस एजेंसीज इन फोटोस को इकट्ठा करके उनका डाटा अपने सर्वर में स्टोर रखती है। उन डांटा का आधार लेकर हर एक नए स्पेस ऑब्जेक्ट , ग्रह , उपग्रह  स्टार या गैलक्सी , उल्का पिंडों की लोकेशन जान ली जाती है। उनके रोटेशन स्पीड अपने स्टार से दूरी और गैलेक्सी का चक्कर किस तरह से काट रहा है।


इसका डाटा तैयार किया जाता है। उसके हिसाब से वह उल्का पिंडों का भी डाटा तैयार करते है। उल्का पिंडों का एक बेल्ट भी होता है। और उस बेल्ट पर ही ज्यादातर नजर रखी जाती है। क्योंकि ऐसे उसका बेल्ट के पीछे का नजारा काफी कम देखने को मिलता है। और उल्कापिंड के पीछे भी कुछ ग्रह तारे या उपग्रह हो सकते है। और वैसे ही उल्का अपने ग्रुप से बिछड़ कर अपना रास्ता बदल लेते है।


दोस्तों हमारे अर्थ से जैसे जैसे हम दूर जाते है। वैसे वैसे हर एक ऑब्जेक्ट की घूमने की गति हम देख सकते है। और अगर हम उस बाहरी ऑब्जेक्ट को अर्थ के पास लाए तो वह स्पीड बढ़ जाता है। पर इन दोनों बातों का ख्याल रखकर हम किसी ऑब्जेक्ट को पृथ्वी से अंडाकार पोजीशन में रोटेट करें तो वह ऑब्जेक्ट उसी तरह पृथ्वी से पास से गुजरेगा तो काफी स्पीड से गुजरेगा और पृथ्वी से दूर जाएगा तो स्लो गुजरेगा इसका मतलब पृथ्वी का का ग्रेविटी उसे अपनी ओर खींचने की कोशिश करता है। सेम असर उन उल्का पिंड में भी यही असर होता है।


उसकी एग्जैक्ट लोकेशन और स्पीड को ध्यान में रखते हुए हे वैज्ञानिक वह उसका पृथ्वी के पास से गुजरेगी या पृथ्वी पर आकर टकराएगा इसका अंदाजा लगाते है। पर हमारा चांद उस ग्रेविटी को कम कर देता है। या फिर अपनी ओर अपनी कक्षा में खींचने की कोशिश करता है।


इस वजह से वैज्ञानिकों को कई सारे बातों का अंदाजा लगाकर यह अनुमान निकालना पड़ता है कि उल्का पिंड पृथ्वी पर आएगा या पृथ्वी से गुजर कर जाएगी । इसके लिए वैज्ञानिक उल्कापिंड का स्पीड, लोकेशन, चांद की लोकेशन, वहां से पृथ्वी का ग्रेविटी फोर्स और लोकेशनइन बातों का अध्ययन करने के बाद ही उन्हें पता चलता है। कि उल्का पिंड पृथ्वी की बाहरी कक्षा से गुजरेगा ।


4 ] उल्का पिंड पृथ्वी से टकराएगा ऐसा अनुमान क्यों लगाया जाता है ?


दोस्तों जब भी स्पेस एजेंसीज अपने पृथ्वी ओर आती हुई किसी अंतरिक्ष चीज को या उल्का पिंडों को किसी टेलिस्कोप से डिटेक्ट करती है तो वह ठीक से यह अनुमान नहीं लगा पाते है कि वह कितने देर मैं पृथ्वी तक आएगा या फिर वह कितना बड़ा है। इसका कारण यह होता है क्योंकि वह उल्कापिंड कुल आकार में काफी बड़ा या छोटा हो सकती है। पर उसकी स्पीड कितनी है। इस पर हो टकराव कितना भयंकर होगा इसका अंदाजा लगाया जाता है।


पर अगर स्पीड नापे तो आकार और अपनी पृथ्वी की एग्जैक्ट लोकेशन साथ में वह टकराएगा तब हमारी पृथ्वी की लोकेशन कहां पर होगी यह समझना भी पड़ता है। तब जाकर स्पेस एजेंसीज सही तरीके से अनुमान लगा पाती है। कि एस्ट्रॉयड पृथ्वी से टकराएगा या पृथ्वी के पास से गुजरेगा इसलिए स्पेस एजेंसीज को अपना काम काफी अच्छी तरह से पता होता है।


पर मैंने कई बार कई सारे पोस्ट में ऐसा देखा है की हर बार ऐसे ही न्यूज़ आते है। पर आज तक एस्ट्रॉयड हमारी पृथ्वी पर नहीं गिरा है। या फिर फेक न्यूज़ आती है। ऐसा भी कई सारे लोगों का कहना होता है। तो मैं उन लोगों को बता दूं कि सभी चीजें अनुमानित समय और अनुमान अनुसार नहीं घट सकती है। क्योंकि हम अपनी पृथ्वी पर जो चाहे वह अपने हिसाब से कर सकते है। पर अंतरिक्ष की चीजों को हम अपने हिसाब से नहीं डाल सकते है।


इसलिए जब भी स्पेस एजेंसी से एस्ट्रॉयड गिरने का अनुमान लगाए तो यह सिर्फ अनुमान ही होता है। क्योंकि जब भी एस्ट्रॉयड गिरता है। तो वह पृथ्वी के किस हिस्से में गिरेगा या फिर वह पृथ्वी तक आते या गिरते समय तक पूरा रहेगा या जलकर उसके टुकड़े होंगे यह भी स्पेस एजेंसीज नहीं बता सकती है। पर कभी-कभी अनुमान भी सही हो जाते है। और कई लोगोंको एस्ट्रोराइड या उल्का के टुकड़े भी मिले है। जो कि उन्होंने उन पर रिसर्च करने वाले साइंटिस्ट को या सरकार को बेच दिए है।


तो उल्कापिंड गिरेगा या पृथ्वी के पास से गुजरेगा यह अनुमान स्पेस एजेंसीज तो अपने हिसाब से ठीक ही लगाती है। पर उस उल्कापिंड पर पूरी तरह से अंतरिक्ष का जोर रहता है। या फिर जब तक वह उल्कापिंड अंतरिक्ष में है। तब तक उस पर अंतरिक्ष के ही सारे नियम लागू होते है। इसलिए उल्का पिंड हमें ज्यादातर न्यूज़ में ही मिलते है। पर वह पृथ्वी तक आते वक्त टूट कर बिखर भी जाते है। या फिर पृथ्वी के पास से ही निकल जाते है।


आपने कई बार न्यूज़ में देखा होगा या सुना होगा कि कोई ग्रह या उल्का 50 साल , 100 साल या 200 साल बाद फिर से पृथ्वी की बाहरी वातावरण से गुजरेगी तो यह तब होता है। जब वह उल्का पृथ्वी के पास से गुजरती है। और पूरे अंतरिक्ष का चक्कर काटकर वापस से पृथ्वी से गुजर जाती है। एक उदाहरण के लिए हमारा चांद ले लीजिए वह पृथ्वी से काफी पास है इसलिए वह हमें रोज पृथ्वी के पास से गुजरता हुआ देखने को मिलता है ।


दोस्तों अगर आप एक छोटा सर्कल बनाओगे और एक बड़ा सर्कल बनाओगे तो छोटा सर्कल पूरा करने के लिए आपको कम समय लगेगा और बड़ा सफर पूरा करने के लिए आपको ज्यादा समय लगेगा । तो उल्कापिंड अगर कम जगह से अपना चक्कर पूरा करती है। तो वह जल्द ही हमारे पृथ्वी से गुजरती है।


और अगर ज्यादा दूरी से वह उल्कापिंड चक्कर काट लेता है। तो ज्यादा वक्त लगता है उसे पृथ्वी से गुजरने में । अब अगर आप हमारे चांद का उदाहरण ले तो आपको एस्ट्रॉयड घूमने की और उसके वापस आने की गति का और स्थिति का अंदाजा आसानी से आ जाएगा इसीलिए मैंने पहले ही वह उदाहरण आपको बता दिया ।


दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना कि " उल्कापिंड क्या होते है ?उल्का पिंड पृथ्वी की कक्षा से जाने वाला है ऐसा क्यों कहते है?उल्का पिंड पृथ्वी से टकराएगा ऐसा क्यों कहा जाता है? उल्का पिंड पृथ्वी से टकराएगा ऐसा अनुमान क्यों लगाया जाता है? What are meteorites? Types of Meteorites? Why is it said that a meteorite is going to orbit the Earth? Why is a meteorite hit? Why is the meteorite supposed to hit the Earth? "


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