नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाइट पर आपका फिर से एक बार स्वागत है। दोस्तों अंतरिक्ष एक बेस्ट जगह होती है। जहां पर हमारे वैज्ञानिक कुछ एक्सपेरिमेंट करते है या खोज करते है। और इन्हीं खोजों का परिणाम यह हो गया है कि अंतरिक्ष में काफी सारा कचरा इकट्ठा हो रहा है। और यह कचरा साफ करना काफी मुश्किल है। क्योंकि इस कचरे को साफ करने के लिए कुछ पर्याप्त साधन मौजूद नहीं है। और इसी का समाधान सोलर सेल हो सकता है।
अब यह सोलर सेल शब्द आपने कहीं सुना होगा या फिर नहीं सुना होगा पर इस आर्टिकल में मैं आपको इसके बारे पूरी जानकारी देने जा रहा हूं। सोलर सेल किस तरह से काम करता है। यह जानना एक काफी बड़ी उत्सुकता होती है। और इस पर पूरी जानकारी ना हो तो आप इंफॉर्मेशन के मामले में कुछ पीछे रह सकते है। इसलिए हम सोलर सेल क्या होता है? इसके बारे में जानकारी लेंगे।
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सोलर सेल क्या होता है?
दोस्तों सोलर सेल एक ऐसे मशीन और टेक्नोलॉजी है जो अंतरिक्ष में फैला हुआ कचरा इकट्ठा कर सकती है। या फिर एक जगह लाकर छोड़ सकती है। इसमें एक बड़ी सी जाली होती है। जो कि फाइबर और नैनोमेटेरियल से बनी होती है। यह जाली अपने हिसाब से अपना आकार और बदल सकती है। यूज कम और ज्यादा भी कर सकती है। क्योंकि इसमें उस जाली के चारों कोनों में छोटे-छोटे सेटेलाइट लगाए हुए होते है। जो पृथ्वी से कंट्रोल किए जाते है और इसे ऑटो में भी चलाया जा सकता है। यानी कि इसका एक लोकेशन डालने पर यह उसी तरह काम करेगी और अपने लोकेशन तक जाते हुए सारा अंतरिक्ष का कचरा अपने साथ ले जाएगी।
दोस्तों सोलर सेल एक जाला है इतना तो आप समझ गए। पर यह जाला कितना लंबा होगा इसके बारे में कई सारे लोगों को पता नहीं होता है। तो यह नेट लगभग 2,000 square meters (21,500 square feet या इससे भी बड़ा होता है। और इसका इतना सारा एरिया और स्पीड देख कर ऐसा लगता है कि यही टेक्नोलॉजी अंतरिक्ष को काफी जल्दी और प्रॉपर तरीके से साफ कर सकती है।
दोस्तों आपने मछली पकड़ने वाला जाला तो देखा ही होगा वह जहां पर फेंका जाता है। वहां की सारी मछलियां उस जाले में इकट्ठा होने लगती है। और मछुआरा उसके जाले से वह सारी मछलियां एक ही बार में बाहर निकालता है। उसी कांसेप्ट को ध्यान में रखते हुए यह सोलर सेल बनाया गया है। इसमें आपको यह समझ में आएगा कि इस जाले से अंतरिक्ष के सारा गंदा पार्टिकल या ऑब्जेक्ट साइड में किया जा सकता है।
मैंने पिछले आर्टिकल में आपको यह बताया था कि अंतरिक्ष के कचरे को किस तरह से, किन मार्गो से साफ किया जा सकता है। उसमें हमने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मैग्नेट का इस्तेमाल करते हुए भी अंतरिक्ष साफ किया जा सकता है, यह बताया था। पर ऐसा करने से हम सिर्फ मैग्नेट से चिपकने वाले कुछ लोहे या मेटल के टुकड़ों को ही समेट सकते है। पर यह सोलर सेल वाला बड़ा सा जाला सभी पार्टिकल्स या ऑब्जेक्ट को ढूंढ कर उन्हें समेटता है।
सोलर सेल कैसे काम करता है?
दोस्तों आपको यह समझ में आ गया होगा कि सोलर सेल एक जाला है। जिसमें चार सेटेलाइट भी लगे हुए है। यही सेटेलाइट हर एक टुकड़े को स्कैन और डिटेक्ट करेंगे और उन्हें इकट्ठा करेंगे। एक बार इन सेटेलाइट ने उन टुकड़ों को स्कैन कर दिया तो यह जाला उसकी ओर अपना रास्ता बना लेगा क्योंकि स्केनर उस टुकड़े से यह डिटेक्ट करेंगे कि आने वाले कोई स्पेस मिशन में वो पार्टिकल रुकावट डालेगा या नहीं और अगर आने वाला कोई नया स्पेस मिशन उसी रास्ते से गुजरता है, तो उसे यह जाला साफ कर देगा।
साथ में वह स्पेस सैटेलाइट का टुकड़ा है, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पार्टिकल है या कोई इंधन सामग्री है इसके हिसाब से चुनेगा। क्योंकि ऐसे टुकड़े स्पेस प्रोग्राम में काफी खतरनाक होते है। जो आने वाले किसी स्पेस मिशन में खतरा बन सकते है। या स्पेस मिशन बर्बाद कर सकते है। तो जो टुकड़ा स्पेस मिशन में खतरनाक साबित होगा उन्हें तो यह सोलर सेल स्पेस से हमेशा के लिए साइड कर देंगे।
दोस्तों सोलर सेल की मैक्सिमम स्पीड यानी ज्यादा से ज्यादा स्पीड लाइट की स्पीड से 10 गुना होती है। 18,600 miles प्रति सेकंड की स्पीड से यह स्पेस में ट्रेवल करता है। और इसके लिए किसी भी बैटरी की या पावर सप्लाई की जरूरत नहीं है। यह सोलर पावर से चल सकता है। इतनी ज्यादा स्पीड के चलते हुए एक सूरज से अपने लिए चार्ज बनाएगा, तो यह काफी ट्रैवल भी कर सकता है।
यह सोलर सेल सूरज से निकलने वाले फोटोन कनो को आगे बढ़ने के लिए यूज करता है। यानि कि एक सोलर पैनल की तरह ही यह अपने लिए ऊर्जा समेटे हुए रखता है। कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि सोलर वाइंड की वजह से इस पर क्या इफेक्ट पड़ेंगे तो दोस्तों यह सोलर सेल सिर्फ सूरज से आने वाली ऊर्जा को ही डिटेक्ट करेगा और अपने लिए उर्जा बनाए रखेगा। सोलरवाएंड को यह उतना तो नहीं रोक पाएगा पर काफी चांसेस है कि उस पर लगाए हुए सेटेलाइट सेंसर सोलरवाएंड आने के बाद अपने आप ही छोटा सा बना लेंगे और यह उस सोलर वाइंड की वजह से दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा।
सोलर सेल कौन और क्यों लांच करेंगे?
दोस्तों कई सारे लोगों के मन में यह सवाल होता है कि सोलर सेल प्राइवेट स्पेस रिसर्च कंपनीया अंतरिक्ष में छोड़ती है या फिर गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन। तो दोस्तों यह सोलर सेल अंतरिक्ष में कोई भी रजिस्ट्रेड कंपनी छोड़ सकती है। पर इसके लिए कई सारी फंडिंग की जरूरत होती है।
अब यह मुद्दा नहीं है कि अंतरिक्ष साफ करने से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान। पर जो भी कंपनी या गवर्नमेंट अंतरिक्ष में स्पेस मिशन भेजेंगे उन्हें इन टूटे हुए टुकड़ों का सामना तो जरूर करना होगा। हालांकि अभी इतने सारे टुकड़े स्पेस में बिखरे नहीं है। पर आने वाले समय में तो इसका काफी सारा प्रभाव हर 1 स्पेस मिशन पर पड़ेगा। इसलिए अभी से इस कचरे को दूर करना जरूरी है।
सोलर सेल की कीमत कितनी होती है?
सोलर सेल की कीमत 16 मिलियन होती है या इससे भी ज्यादा और इसे इंडियन रुपीस में गिना जाए तो यह लगभग 1,18,90,12,800.00 Indian Rupee बनते है। और मैंआने वाले समय में इसकी डिमांड और भी बढ़ने वाली है। तो इसकी प्राइस से कम ज्यादा हो सकती है। यह कीमत जो मैंने 16 बिलियन बताई है यह प्राइवेट कंपनी द्वारा छोड़े मैंगए सोलर सेल की है।
पहला सोलर सेल अंतरिक्ष में कब छोड़ा गया था?
दोस्तों सोलर सेल एक आने वाली बेहतर टेक्नोलॉजी मानी जाती है। तो इसकी शुरुआत भी कई सालों से हो रही थी। आपको मैं बता दूं कि पहला सोलर सेल LightSail प्रेस्टीज कंपनी द्वारा छोड़ा गया था और LightSail 1: 20 May 2015 को Atlas V राकेट द्वारा छोड़ा गया था। इसके साथ-साथ इसी कंपनी ने दूसरा सोलर सेल भी छोड़ा गया था जिसका नाम LightSail 2: रखा था और यह 25 June 2019 को स्पेस में छोड़ा था। इस मिशन को पूरा करने के लिए नासा ने भी काफी सारी मदद की थी और इसका खर्च लगभग 7 मिलियन से भी ज्यादा आया था।
सोलर सेल के फायदे क्या है?
दोस्तों सोलर सेल एक आने वाली बेहतर से बेहतर टेक्नोलॉजी है। इसमें फाइबर सेल, नैनो सैटेलाइट, बेतार सेंसर, बैटरी बैकअप और नैनोमेटेरियल के साथ-साथ अपग्रेड की गई टेक्नोलॉजी यूज़ की गई है। इसमें और भी कई कई सारे अपडेट होते रहेंगे। पर इससे फायदा यह होगा कि कई सारा अंतरिक्ष का कचरा आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है। और रीयूज भी किया जा सकता है।
सोलर सेल द्वारा इकट्ठा किए गए कचरे पर भी रिसर्च हो सकती है। और वह किस वजह से इतनी देर तक अंतरिक्ष में टीका रहा और उस पर अंतरिक्ष के ऑब्जेक्ट का क्या कुछ फर्क पड़ा इस पर भी रिसर्च की जा सकती है। अगर टुकड़े दोबारा यूज करने लायक बचते है। तो उन्हें दोबारा से नए से उसे में लाया जा सकता है।
सोलर सेल द्वारा इकट्ठा किए गए टुकड़े अगर दोबारा स्पेस मिशन के लिए यूज किए जाते है। तो इससे कई सारा पैसा बच जाएगा और नए स्पेस मिशन और भी सस्ते हो जाएंगे। साथ में ऐसा सोलर सेल द्वारा इकट्ठा किया गया कचरा अगर साइड में किया जाए तो नए स्पेस मिशन के लिए काफी बेहतर रास्ते बन जाएंगे।
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