नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाइट OKTECHGALAXY पर आपका फिर से एक बार स्वागत है। दोस्तों हाल ही का मुद्दा देखे तो आपको यह देखने को मिल रहा होगा कि कुछ दिन पहले भारत में किसान आंदोलन शुरू हो गया था और यह काफी दिनों से चल रहा था जिसके बाद 8-12 को पूरी तरह से भारत बंद का निर्णय पूरे भारत के व्यापारी और संगठन ने दिया। वैसे हमें आज भारत बंद के टॉपिक पर कोई बात नहीं करनी है।
आज हम बात करेंगे कि क्या बाकी व्यापारियों की तरह किसान भी देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है या नहीं क्योंकि भारत के कई सारे हिस्सों में किसान लोगों को काफी कम दर्जा दिया जाता है। जैसे कि उनकी कोई औकात नहीं हो। बार-बार किसानों को कम दर्जा दिया जाता है। क्या वह देश के लिए कुछ भी नहीं है।
ऐसे ही कई सारे मुद्दों को लेकर आज का यह पोस्ट लेकर में आप तक शेयर कर रहा हूं। वैसे तो हमारी वेबसाइट टेक्नोलॉजी से रिलेटेड है। पर हमारे वेबसाइट पर जितने भी विजिटर आते है। उन लोगों को इसके बारे में जागरूक किस तरह से किया जा सकता है। इस पर मैं सोच रहा था और यह आर्टिकल आप तक पेश कर रहा हूं ।
◆ इंसान के लिए जीने के लिए मुख्य साधन
◆ किसानों के भरोसे भारत कोनसी इंडस्ट्रीज चलती है?
◆ किसानों को उनके प्रोडक्ट कम भाव में क्यों बेचते है?
◆ किसानों के लिए फायदे हो इसके लिए क्या करना जरूरी है?
1 ] इंसान के लिए जीने के लिए मुख्य साधन
दोस्तों ने जब स्कूल में था तो मुझे तब पढ़ने को मिला कि इंसान के लिए जीने के लिए मुख्य साधन या जरूरी चीके यह होती है कि खाना, कपड़ा, मकान, पानी, और हवा जिसने से पानी और हवा हम कुदरत पर छोड़ दे तो खाना कपड़ा और मकान जैसी चीजें हमें पूरी तरह से खेती से ही मिलती है। पर अब कपड़ों में भी कई तरह के आने लगे है। और घर यानी मकान की बात करें तो यह भी अब हमें इंडस्ट्रियल एरिया से मिल रहा है।
यानी कि घर के लिए पहले लकड़ी वगैरा की इस्तेमाल करना पड़ता था पर अब पूरी तरह से कंक्रीट कि बिल्डिंग बन रही है। तो अब सवाल आता है कि किसान की जरूरत पूरी दुनिया को सिर्फ खाना देने के लिए ही है। या फिर किसान और भी कई सारी चीजों के लिए उपयोगी आता है। तो इस पर भी हम काफी विस्तार से चर्चा करेंगे। पर मेरे ख्याल से अगर भारत देश में लोकशाही गणराज्य है और हर एक इंसान को एक दूसरे से समान समझा जाता है तो किसानों को भी दूसरे इंडस्ट्री की तरह ट्रीट करना जरूरी है।
दोस्तों बाकी देश जिस तरह से किसानों को मुख्य समझते है वैसा भारत में नहीं होता है। क्योंकि इसके दो कारण होते है। एक तो किसान दिखने में पूरी तरह से मिट्टी से लगे हुए रहते है। क्योंकि उनका काम ही मिट्टी में होता है और दूसरी बात यह कि वह कोई प्रोफेशनल कारीगर नहीं दिखते है और यहां पर देश में कुछ ऐसा स्वभाव है कि जितना प्रोफेशनल दिखा जाए उतना ही आपको लोग रिस्पेक्ट देते है।
अगर बात करें एक भिखारी की तो यहां पर आपको भिखारियों को काफी गलत दर्जा दिया हुआ देखने को मिलता है वैसे तो हर एक देश में ऐसा ही होता है। पर यहां पर आप समझ सकते हो कि आपके प्रोफेशन या फिर लुक पर आपको लोग किस तरह से भाव देना है यह सुनिश्चित करते है। भारतीय किसानों के बारे में भी कुछ ऐसा ही है। वैसे तो दोस्तों सब लोग जानते है कि किसान की जरूरत देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। पर फिर भी में आपको इसके बारे में विस्तार से से बताऊंगा । तो चलिए दोस्तों हमारा अगला महत्वपूर्ण पॉइंट शुरू करते है।
2 ] किसानों के भरोसे कोनसी इंडस्ट्रीज चलती है ?
1 ] कई इंडस्ट्रीज चलती है किसानों पर ।
अगर बात करें किसानों की तो कई सारी इंडस्ट्रीज किसानों की बदौलत ही चलती है। जी हां दोस्तों मैंने कही हुई बात एकदम सौ टका सही है। पर इसमें आप कंट्रक्शन, हॉस्पिटल्स, रासायनिक लैब और व्हीकल मेन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को नहीं पकड़ सकते क्योंकि वह दोनों ही अलग साधनों से चलने वाली इंडस्ट्रीज है। पर अगर देखा जाए तो कई सारी ऐसी इंडस्ट्रीज बताऊंगा जो कि सिर्फ किसानों के ऊपर ही निर्भर रहती है। तो चलिए दोस्तों हमारा यह पॉइंट हम काफी विस्तार से जानते है। कि कौन सी वह इंडस्ट्रीज है जो कि सिर्फ किसानों के ऊपर ही चलती है।
# शुगर के कारखाने
दोस्तों शुगर यानी कि चीनी बनाने वाला भारत दुनिया का प्रथम यानी पहला देश है। भारत में जितनी चीनी बनती है। उतनी चीनी किसी भी देश में नहीं बनती है। पर फिर भी अगर देखा जाए तो चीनी बनाने वाली कारखाने काफी कमाई कर जाते है। मगर चीनी बनाने के लिए जो भी गन्ना खेतों से काटकर कारखानों तक पहुंचाया जाता है। उन लोगों की मेहनत और परेशानियां कोई भी सरकार या कारखाना नहीं देखता है।
मुझे अभी याद है। जब गन्ने कारखानों तक जाते है तो गन्ना बैलगाड़ी पर लादा जाता है और इतनी मेहनत से कारखाने तक पहुंचाया जाता है कि पूछो ही मत । पर फिर भी शुगर बनाने वाली कारखाने करोड़ों में कमाई कर जाते है। लेकिन उस किसानों के या फिर मजदूरों को इतना ज्यादा फायदा नहीं मिलता है। गन्ने काटने वाले किसानों को स्वस्थ और आम जीवन की जरूरतें पूरी नहीं होती और उनके बच्चो को अच्छी शिक्षा भी नहीं मिल पाती । तो वहीं बच्चे जिन्हें अच्छी शिक्षा चाहिए होती है वहीं बादमें गन्ना काटने का काम करते हैं ।
## कपड़ों के व्यापारि और कंपनियां
दोस्तों मैं यह नहीं कहूंगा कि आज भी हम पुराने तरह के कपड़े पहनते है या फिर हमने पुराने रीति रिवाज को अभी भी अपनाया है। हालांकि दुनिया बदल रही है। और लोगों का रहने का तरीका भी काफी बदल चुका है। फिर भी आज भी कपड़े उसी तरह से बनाए जाते है। या फिर तैयार किए जाते है। जो पहले बना करते थे जिसमें कपास से कपड़े बनाना पहली पसंद माना जाता है। क्योंकि यह तरीका काफी आसान तरीका है।
और काफी पैसों की बचत भी करता है। जिसमें कंपनियां अलग-अलग तरह के कपड़ों बनाती है या फिर में अपग्रेड करती रहती है। पर जितने कपास से कंपनी में एक ड्रेस बनता है। और उससे जितना पैसा कंपनी कमाती है। वह कपास बेचने वाला उससे आधा पैसा भी नहीं कमाता, यह आज की रियलिटी है। अब यहां पर किसान तो चुप बैठता है। या फिर वह अपने माल को कम कीमत या भाव में क्यों देता वह भी हम आगे देखेंगे ही ।
### खाना पार्सल करने वाली कंपनियां और होटल्स
दोस्तो खाना बनाने वाली कंपनियां जिसमें सबसे पहले नाम आता है। डोमिनोस पिज़्ज़ा के साथ-साथ Swiggy, Zomato, foodpanda के साथ-साथ कई और अन्य कंपनियां भी भारत में मौजूद है। पर जब भी यह कंपनियां किसानों और बाकी मजदूरों से काम करवाती है। तो क्या उन्हें उनके मन के मुताबिक पैसे मिलते है।
क्या वह अपने मन के मुताबिक कमाई कर पाते है, तो मैं कहूंगा कि नहीं। अगर डिलीवरी ब्वॉय को छोड़कर किसी अन्य वर्कर की बात करें तो, यह संभव नहीं है। क्योंकि डिलीवरी ब्वॉय को पेमेंट कुछ किलोमीटर या ऑर्डर के अनुसार होते है। तो वह डिलीवरी बॉय काफी अच्छी कमाई कर पाते है। पर जो उन कंपनियों को अपना माल एक्सपोर्ट करते है। वह इतनी अच्छी खासी कमाई नहीं कर पाते है।
>> टॉप फूड डिलीवरी कंपनीज इन इंडिया
#### धान खरीदने वाले लोग कल दुकानदार
दोस्तों अगर आप शहर से हो या फिर किसी गांव से हो आपको किसी ना किसी गांव में धान खरीदने वाले दुकानदार मिल जाते ही है। अब वह आपसे यानी कि किसानों से जो चाहे वह रेट लगाकर धान खरीदते है। जिसमें क्वालिटी के अनुसार धान को खरीदा जाता है। और वह धान थोड़ी सी मशीन से साफ करके आगे काफी अच्छे प्राइस में बेचा जाता है। तो अब यह लोकल लोग ही किसानों की परवाह नहीं करते है।
तो स्टेट लेवल पर किसानों की क्या वैल्यू है। मेरे ख्याल से लोकल धान खरीदने वाले दुकानदार पहले खुद की प्रॉफिट के बारे में सोचते है। फिर किसानों की प्रॉफिट के बारे में सोचा जाता है। जब मोलभाव की बात आती है। तो वह सरकारी निर्देश और धान के प्राइस बता देते है। जिसमें अगर किसान उस प्राइस में वह धान बेचना चाहे तो ही भेज सकता है। वरना चलते बनो वाला डायलॉग चिपकाया जाता है ।
##### दुग्ध व्यवसाय
दोस्तों दुग्ध व्यवसाय यानी दूध पर निर्भर व्यवसाय जो कि पूरे भारत में मौजूद है। पर यहां पर विशेष चीज होती है। अगर बात करें दूध से चीजे बनाने की तो इससे कई तरह के प्रोडक्ट बनते है। पर दूध से इतनी सारी कंपनियां, इंडस्ट्रीज और प्रोडक्ट चलते है। फिर भी दूध बेचने वाला आज भी 0 वैल्यू का है।
अगर बात करें पानी और दूध में प्राइस की तो आपको यहां पर एक बात क्लियर पता चल जाएगी कि 1 लीटर पानी की बोतल ₹20 होती है। और 1 लीटर दूध की कीमत ₹50 होती है। पर 1 लीटर दूध बनाने के लिए कितना पानी खर्च होता है। इसका हिसाब तो कोई करता तक नहीं पर फिर भी अगर किसान खेती के साथ-साथ दूध व्यवसाय और बाकी चीजें खेती में जोड़ दे तो वह हमेशा फायदे में रह सकता है।
3 ] किसान उनके प्रोडक्ट कम भाव में क्यों बेचते है?
# प्रोडक्ट स्टोरेज की कमी
दोस्तों किसानों की बात करें तो किसानों के प्रोडक्ट की वैल्यू तो बहुत होती है। पर किसानों का माल ज्यादा दिन तक स्टोर रखने लायक नहीं होता है। जैसे की सब्जियां और धान को ले लो। सब्जियां ज्यादा से ज्यादा 3 दिनों तक अच्छी रह सकती है। अगर किसानों के पास उसे स्टोर करने के लिए काफी अच्छा सोर्स हो तो वह 7 दिन से एक महीना आराम से स्टोर हो सकती है।
पर किसानों को इतनी हैवी मशीन और स्टोरेज की प्रॉब्लम होने की वजह से वह वह प्रोडक्ट ज्यादा दिन तक अपने घर में या गोडाउन में नहीं रखना चाहता है। क्योंकि आगे जाकर सरकार के निर्देश के अनुसार उन चीजों के भाव कम भी हो सकते है। इसलिए किसान जब चाहे तब वह प्रोडक्ट नहीं बेच सकता है। उसे जो भाव मिले उसी भाव में वह प्रोडक्ट बेचने पड़ते है।
और मैंने कई बार यह देखा है कि किसान उनके माल के भाव को देखकर काफी निराश हो जाता है। क्योंकि वह साल भर या 6 महीने एक सब्जी को तैयार करता है। या फिर मेहनत करके बनाता है। पर जब उनकी सब्जी और धान को मन के मुताबिक भाव नहीं मिलता है। तो किसान को वह सब्जी, प्रोडक्ट या धान घर में पड़कर खराब होने से अच्छा लगता है कि उसे कम भाव में ही बेचा जाए और इसी का फायदा लोकल लोग , धान खरीदने वाले और सरकार हमेशा लेती रहती है।
## पैसों की कमी
दोस्तों जब भी कोई किसान अपना प्रोडक्ट बनाता है। जिसमें धान, सब्जी कपास से लेकर अन्य चीजें आती है। वह तैयार करने में उसे पूरा साल तो लगता ही है। पर जो कुछ भी पैसे उस काम के लिए लगते है। वह या तो उसे लोन लेकर बनाने पड़ते है। या फिर अपने पूरे साल भर के खर्च में काफी कटौती करने के बाद वह पैसे उसके लिए खड़े हो पाते है। और जब भी वह किसान प्रोडक्ट बेचने जाता है।
तो उसे लगता है कि कम से कम जितना पैसा उसने खेती के काम के लिए इन्वेस्ट किया है उतना तो या फिर उससे आधा भी मिले तो भी वह खुश है। पर यही हर साल चलता आता है। अगर बात करें तो भारतीय किसान पैसों की कमी से कम और किसानों के लिए बनाए गए आर्थिक बजट और निर्देश के वजह से ही ज्यादा प्रभावित होता है। वैसे तो आपने कई बार न्यूज़ में यह देखा होगा कि एक किसान ने 1 एकड़ में इतने लाखों कमाए या फिर फायदा कमाया।
पर दोस्तों यहां पर एक किसान की बात कभी भी नहीं हो रही है। जिसके पास लॉस हुआ या फिर गवाया हुआ पैसा वापस पाने के अन्य सोर्स और मार्ग होते है। उसके लिए खेत की एक बिजनेस बन जाता है। पर छोटे किसान जिनका पूरी तरह से गुजारा सिर्फ खेती के ऊपर मौजूद होता है या फिर खेती से कमाए हुए पैसे पर होता है। उनके लिए काफी दिक्कत वाली बात है।
4 ] किसानों को फायदे हो इसके लिए क्या करना चाहिए?
# खेती व्यवसाय ऑनलाइन ले जाना
दोस्तों किसानों के लिए फायदे हो या फिर वह अच्छी खासी कमाई करें, इसके लिए सबसे पहले उनकी प्रोडक्ट को ऑनलाइन ले जाना जरूरी है। क्योंकि आजकल एक पेन से लेकर घर खरेदी और बिक्री तक ऑनलाइन हो चुका है। फिर हमारे देश के किसान के प्रोडक्ट ऑनलाइन क्यों नहीं जा सकते है। वैसे तो यह काम थोड़ा मुश्किल है। मगर असंभव नहीं है।
मुश्किल इसलिए क्योंकि किसान का प्रोडक्ट या माल बहुत ही बड़ी क्वांटिटी में होता है। इतना कि एक बार में पूरा ट्रक भी किसान बेच सकता है। इसलिए यह काम थोड़ा मुश्किल पहले लगता है। पर अगर बात करें माल के क्वालिटी के अनुसार उसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाया जाए और क्वांटिटी और क्वालिटी के अनुसार वह प्रोडक्ट ऑनलाइन बेचे जाए। जिसमें ट्रैकिंग या शिपिंग का चार्ज खरीदने वाला और बेचने वाला आधा-आधा कर ले तो किसान भी पूरी तरह से ऑनलाइन माल बेच सकते है।
जिसमें 1 बोरी धान बेचना हो या फिर पूरा ट्रक भरके माल बेचना हो यह सारे काम ऑनलाइन हो सकते है। अगर बात करे सारा माल एक ही आदमी द्वारा खरीदने की, तो इससे बाकी लोगों को धन पाने में थोड़ी मुश्किलें आ सकती है। पर हाल ही की परिस्थिति इससे कुछ अलग नहीं है। आज भी जिसे चाहे वह जितना चाहे उतना माल खरीद कर रख सकता है। तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसान जाने से वैसे तो कुछ अलग बात नहीं होगी ।
## सब्जी के लिए स्टोरेज प्लेटफार्म
दोस्तों किसानों द्वारा उगाई गई सब्जियां एक ऐसी चीज होती है। जो कि काफी कम दिनों के लिए अच्छी हालत में रहती है। अगर बात करें सब्जियों की तो मैंने पहले ही बता दिया है कि सिर्फ 3 दिन तक ही सब्जियां अच्छी खासी रह सकती है। इसलिए सरकार द्वारा सब्जियों के लिए स्टोरेज की उपलब्धता कर दी जाए तो इससे काम काफी आसान बन जाएगा क्योंकि मैंने कई बार यह देखा है कि किसान जितनी सब्जियां बेच पाता है उतनी दिन भर में बाजार में बेच देता है।
और जो कुछ सब्जिया रह जाती है उसे वहीं पर फेंक कर निकल जाता है। तो इससे उसका 400 से ₹500 दिन का नुकसान हो जाता है। पर स्टोरेज व्यवस्था से यह नुकसान काफी कम हो जाएगा और वह दूसरे दिन भी फ्रेश सब्जियां बेच सकता है। मेरे ख्याल से इस पर भी सरकार द्वारा नजर देनी जरूरी है। जो सरकार नुकसान होने के बाद किसानों को मदद जाहिर करती है। वही मदद अगर वह नुकसान होने से पहले कर दे तो काफी चिंताएं दूर हो जाएगी ।
### सब्जियों के लिए भी हो मॉल
दोस्तों मॉल के आपने कई सारे प्रकार देखे है। जिसमें कई तरह की चीजें मिल जाती है। दोस्तों हमारे भारत देश में मॉल में आपको ड्रेस, बर्तन से लेकर पेन, पेंसिल और कपडे तक सारी चीजें मिल जाएंगी। पर सब्जियों की कोई बात ही नहीं होती है। पैकिंग की कई सारी चीजे जिसमें दाल चावल भी आते है। वह भी आपको मॉल में मिल जाएंगे।
मगर सब्जियां, सब्जियां आपको किसी भी मॉल में नहीं मिलेंगी क्योंकि मैंने पहले ही बता दिया कि सब्जियां स्टोर रखने में काफी दिक्कतें होती है। पर मॉल में स्टोरेज के लिए काफी अच्छी सिस्टम लगाइ हो तो यहां पर माल बाकी रहने की चिंता है। मगर मॉल वाले वह पीछे रहा हुआ माल किसी भी लोगों को कम प्राइस में दे सकते है। यह काम असंभव नहीं है।
मैंने कई बार देखा कि जूतों की वैल्यू कांच के अंदर होती है। और सब्जियों की वैल्यू धूल में रास्ते के बगल में होती है। तो यह आज की परिस्थिति है। और मैं पूरी तरह से इसके खिलाफ हूं । जो चीजें रास्तों पर बिकिनी चाहिए जैसे कि कपड़े जूते और अन्य चीजें वह आज कांच में बंद है। और जो चीजे सेफली स्टोर रखकर बेचनी चाहिए वह धूल में पड़ी बिक रही है। क्या यह गलत बात नहीं है।
पर इसके खिलाफ कौन बोलेगा। 2 दिन की सब्जी किस तरह से बेची जाए यही आज का समाज और किसान सोचता है। जिस दिन किसान बड़े स्टोर रूम में किस सब्जी बेचेगा और फालतू की चीजें रास्तों पर बेची जाएगी उस दिन सही तरह से किसानों को मदद मिलेगी। देश आगे बड़ गया है, ऐसा मुझे लगता है। आप भी इसपर आप राय और कल्पना जरूर दे ।
दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना कि " इंसान के लिए जीने के लिए मुख्य साधन . किसानों के भरोसे कोनसी इंडस्ट्रीज चलती है ? किसानों को उनके प्रोडक्ट कम भाव में क्यों बेचते है? किसानों के लिए फायदे हो इसके लिए क्या करना जरूरी है ? The main means for human beings to live. Which Indian industries run by farmers Support? Why do farmers sell their products at low prices? What needs to be done to benefit the farmers? "
तो दोस्तों यह आर्टिकल कैसा लगा COMMENT जरूर करें । अगर इस आर्टिकल से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे । ताकि आपके साथ और भी लोगों की परेशानी दूर हो । अगर आर्टिकल अच्छा लगे तो इसे अपनों में और आपके पसंदीदा सोशल मीडिया वेबसाइट पर SHARE जरूर करें । अन्य सोशल मीडिया साइट पर हमारे नोटिफिकेशन पाने के लिए कृपया हमें आपके पसंदीदा सोशल मीडिया साइट पर फॉलो भी करें । ताकि हमारा आने वाला कोई भी आर्टिकल आप मिस ना कर सको । हमें Facebook , Instagram , Linkedin , Twitter , Pinterest और Telegram पर फॉलो करें । साथ में हमारी आनेवाली पोस्ट के ईमेल द्वारा Instant Notification के लिए FeedBurner को SUBSCRIBE करें ।
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