Moon research के दौरान Moon पर कचरा फेंकने के क्या नुकसान हैं?

 नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाइट पर आपका फिर से एक बार स्वागत है। दोस्तों पोस्ट टाइटल देखकर आपको समझ में आ गया होगा कि आज हम किस विषय पर बात करने वाले है। दोस्त ये वेबसाइट टेक्निकल पोस्ट के लिए है। पर मैं गैलेक्सी पर भी काफी सारे पोस्ट अपलोड करता रहता हूं। तो टाइटल से आपको समझ में आ गया होगा कि आज हम एक गंभीर विषय पर बात करने वाले है।

हम बात करने वाले है कि क्या चांद जल्द ही खंडहर में बदलने वाला है। अब ऐसा होने के भी कई सारे कारण है। उसी कारणों का हम पता लगाएंगे। तो यह पोस्ट ज्यादातर स्टूडेंट लोगों के लिए या फिर अपने भविष्य पर ज्यादा बातें करते है उनके लिए एक प्रेरित करने का काम करेगा। पर अगर आपको भी ऐसे पोस्ट पढ़ना पसंद है। जिससे आप भविष्य के लिए कुछ कर सको तो यह पोस्ट पूरा जरूर पढ़ें।


Disadvantages of dumping garbage on the moon?


मनुष्य द्वारा Space Research में किए गए गलत काम

दोस्तों हम मनुष्यों ने Space Research या फिर नॉलेज के नाम पर कई सारे Space Mission अंतरिक्ष में भेजे उसमें से कई Space Mission आज भी शुरू है। और आने वाले समय में Space Mission और भी ज्यादा और सस्ते बन जाएंगे। क्योंकि एलन मस्क की Space Research कंपनी Space एक्स रीयूज होने वाले रॉकेट का निर्माण कर रही है।


और इसी वजह से Space Mission सस्ते होंगे पर रॉकेट रीयूज यानी कि दोबारा यूज करने से हम यात्रा का आंकड़ा तो बढ़ा लेंगे। पर इसके साथ-साथ कई टन कचरा वहीं पर फेंक देंगे। यह हो गई भविष्य की बात पर अगर अभी लेटेस्ट उदाहरण देखे तो यही है कि अब तक हमने अपने Earth के आसपास कई टन कचरा ऐसे ही छोड़ दिया है।


अंतरिक्ष में फैला हुआ कचरा

दोस्तों इसरो हो, नासा हो या फिर Space एक्स सुपारको जैसी कई सारी Space Research ऑर्गेनाइजेशन या कंपनियां अपने सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजती है। जिसमें से कई सेटेलाइट एक दूसरे से काफी दूर है। तो कुछ सेटेलाइट एक दूसरे के पास है। अब यहां पर मैं आपको बता दूं वही सेटेलाइट एक दूसरे से टकराते है। कभी-कभी टेक्निकल कारणों की वजह से उनमें खराबी आ जाती है। और वह अपना रास्ता भटकते है।


इसके साथ साथ में जब भी धरती से किसी सैटेलाइट को कंट्रोल किया जाता है। तो टाइमिंग में गड़बड़ी होने की वजह से भी सेटेलाइट एक दूसरे से टकराती है। और उनका कुछ हिस्सा ऐसे ही अंतरिक्ष में भटकता रहता है। हालांकि यह कचरा साफ करना भविष्य में या फ्यूचर में आसान बन जाएगा पर उसका खर्चा बहुत होगा और ऐसा कई टन कचरा अंतरिक्ष में उड़ता फिर रहा है। इसका अनुमान लगाना काफी मुश्किल है।


चांद क्यों बन जाएगा खंडहर

जुलाई 1969 से लेकर अब तक 6 Space Mission चांद पर उतारे गए थे और इसकी शुरुआत नील आर्मस्ट्रांग के अपोलो 11 Mission से हुई थी इतने में चांद पर हमने कई सारा कचरा छोड़ दिया है। और यह रफ्तार आने वाले समय में और भी बढ़ने वाली है। क्योंकि चांद तक हमारा उपयोगी सामान ले जाना तो आसान है। पर उसे दोबारा वापस लाना काफी मुश्किल है। आपने Space में छोड़े गए रॉकेट को देखा होगा जो कि कई हिस्सों में बना हुआ होता है।


इसके अंदर लैंड, रोवर के साथ-साथ बूस्टर जैसे कई तरह के मशीन या इंजन लगे हुए होते है। यह सिर्फ सैटेलाइट को अंतरिक्ष से बाहर छोड़ने तक ही यूज होते है। उसके बाद सेटेलाइट खुद अपने निश्चित स्थान पर पहुंचने का काम करती है। उन्हें Earth से कंट्रोल किया जाता है। या फिर उसका स्पीड मैनेज किया जाता है। यहां पर आप समझ गए होंगे कि Space तक चीजें पहुंचाना आसान है। पर उन्हें वापस लाना मुश्किल है।


अब चांद पर कई तरह के चीज हमने छोड़ कर दोबारा से यहां पर रवाना हुए है। इसमें कई तरह की बोतले, बैग्स का समावेश है। साथ में जो देश Space Mission करता है और चांद तक पहुंचता है। वह अपना झंडा भी उस जगह पर लगाता है। जहां पर वह Space Mission उतारा गया हो तो यह झंडे भी चांद पर मौजूद है। साथ में यूरिन यानी कि मूत्र कलेक्ट करने के किट भी चांद पर वैसे ही पड़े हुए है।


दोस्तों लैंडर और रोवर भी चांद पर भेजे जाते है। ताकि वहां पर रिसर्च की जाए तो ऐसे रोवर और लैंडर साथ में रोबोटिक टूल्स या इक्विपमेंट चांद पर मौजूद है। जो कि टुकड़ों में पड़े हुए है। दरअसल जब धरती से किसी लैंडर और रोवर को कंट्रोल किया जाता है। तो कमजोर सिग्नल की वजह से या टाइमिंग में गड़बड़ी होने की वजह से ओवर कई बार कई चट्टानों से टकराता है। और उनके कुछ पार्टिकल चांद में टूट जाते है। तो यह टुकड़े भी चांद पर मौजूद है।


Space Research कंपनियों के अनुमान के अनुसार चांद पर अब लगभग एक 1,80,000 किलोग्राम से ऊपर मनुष्य द्वारा Space Research कंपनियों द्वारा छोड़ा गया कचरा मौजूद है। तो दोस्तों यह आंकड़ा सुनकर या देखकर आप चौंक गए होंगे पर यह बात पूरी तरह से सच है। क्योंकि हमने मानव रहित और मानव बिना कोई Space Mission को अंजाम दिया है। और इसी वजह से इतना सारा कचरा चांद पर मौजूद है।


चांद पर कचरा होने के क्या नुकसान होंगे?

तो दोस्तों चांद पर कचरा होने के हम इंसानों को फिलहाल कोई नुकसान नहीं होंगे क्योंकि हम अभी तक चांद पर रहने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। पर अगर देखा जाए तो हमारा लक्ष्य तो वही है कि चांद पर रहने के लिए जाना। अब अभी तक हमने वहां पर ठीक तरह से जाना और सर्च करना भी नहीं सीखा। जब तक हमने इंसानों का सबसे महत्वपूर्ण काम वहां पर करना शुरू कर दिया है। और वह है कि हम चांद पर जाने से पहले ही वह कचरा भर रहे है।


अब जिस तरह से हमने Earth का हाल कर दिया है। वही हाल हम चांद का करने वाले है। हालांकि इसके लिए अभी भी कुछ साल लग जाएंगे पर यह होना तय है। एक सच्चे विचार वाला व्यक्ति ऐसा होने से रोकता है। पर जब Space यात्रा सस्ती हो जाएगी तब इस बात का ख्याल ज्यादातर नहीं आएगा कि हम Earth पर कितनी गंदगी फैला रहे है। हम उस चीज का आनंद उठाएंगे चांद को , उसके जमीन को देखेंगे। कुछ दिनों तक अपने Space यात्रा प्लान के हिसाब से वहा रह लेंगे और वापस आ जाएंगे पर फैलाया हुआ कचरा साफ करना किसी को याद नहीं आएगा ।


दोस्तों Earth पर आज कचरे की समस्या सबसे बड़ी समस्या है। और अगर देखा जाए यह समस्या दूर करना भी काफी मुश्किल है। क्योंकि सरकार या फिर कचरा इकट्ठा करने वाले लोग , भंगार वाले कचरा तो इकट्ठा कर पाते है। पर जो भी कंपोस्ट कचरा है जिन्हें कंपोस्ट करके उनमें से रासायनिक तत्व या खेती लायक तत्व इकट्ठा किए जाते है। ऐसा कचरा ठीक तरह से हम यूज नहीं करते और इसका रिजल्ट था है कि कई जगह पर कचरा और गंदगी फैली रहती है। इसलिए Space Research या प्रोग्राम करते वक्त अभी से हमें सतर्क रहना जरूरी है।


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