नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाईट पर आपका दिल से एक बार स्वागत है। दोस्तों आपने कई बार कई जगह पर या फिल्मों में यह देखा होगा कि, रेगिस्तान में आपको कई सारी रेत ही रेत नजर आती है। और यह रेत आपकी नजर जितने दूर जाए वह दिखती ही रहती है। जैसे मानो रेत के किले हो और जब भी कोई तूफान या हवा आती है तो यह रेत अपनी जगह हमेशा बदलती है। इन रेत के कन इतने छोटे होते है कि आपको समझ में नहीं आता कि सामने का नजारा कब कितना बदल चुका है। अब यहां पर मैं आपको रेगिस्तान के साथ साथ बताऊंगा कि रेगिस्तान में इतनी सारी रेत कैसे आ गई।
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तो यह आर्टिकल काफी बड़ा और जरूरी है। पर इसमें भी मैं आपको पूरी जानकारी रेगिस्तान के बारे में दूंगा। साथ में दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान की लिस्ट भी आपको दूंगा। यह जानकारी आपको ज्यादा जानकारी के लिए इस्तेमाल होगी। चलिए शुरू करते है आज का यह आर्टिकल। इस आर्टिकल में आपको क्या कुछ नया इंटरेस्टिंग जानने को मिलेगा यह मैं आपको सबसे पहले बता देता हूं और उन पॉइंट पर अलग से विस्तार से जानकारी लेंगे।
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रेगिस्तान क्या होते है?
दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान कौनसे है?
मिट्टी बनने कारण क्या होते है?
रेगिस्तान में इतनी रेत क्यों है?
रेगिस्तान क्या होते है?
दोस्तों रेगिस्तान वह होते है। जहां पर आपको रेत के बड़े-बड़े किले या फिर ढेर देखने को मिलते है। यह ढेर इतने बड़े होते है कि आप का अंदाजा नहीं लगा सकते। इनमें कई किलोमीटर तक रेत ही रेत होती है। जिसकी वजह से एक व्यक्ति इन मिट्टी के ढेर में गुम हो सकता है। और ऐसे रेगिस्तान में कोई नेटवर्क ना होने की वजह से या नेटवर्क टावर की कमी से रास्ता ढूंढना या नेविगेशन करना भी मुश्किल हो जाता है।
रेगिस्तान एक बंजर और शुष्क क्षेत्र होता है। जहां पर पानी की समस्याएं हमेशा बनी रहती है। पानी के साथ-साथ धूप का भी सामना रेगिस्तानी इलाकों में करना पड़ता है। रेगिस्तान भूगोल शास्त्र के अनुसार अलग कार्य करता है। जिन क्षेत्रों में 25ML के करीब या नीचे बारिश होती है वही इलाका रेगिस्तान कहलाता है। ढाई सौ मिली के नीचे की बारिश में ज्यादातर यही होगा कि वहां पर पेड़ पौधे ना के बराबर होंगे और यह बात सही भी है।
क्योंकि रेगिस्तान में काफी कम मात्रा में ही पेड़-पौधे देखने को मिलते है।
कुछ रेगीस्तान ऐसे भी होते है जो गर्म या ठंडे होते है। और इसका कारण क्या होता है कि मिट्टी के प्रकार के अनुसार जो मिट्टी ज्यादा देर तक सूरज की किरने सोख लेती है उन्हें ठंडा होने में ज्यादा समय लगता है। और यही रेगिस्तान गर्म रेगिस्तान में आते है। वैसे ही जिन रेगिस्तानी इलाकों का तापमान औसत 30 डिग्री के आसपास होता है। वह रेगिस्तान गर्म रेगिस्तान कहलाते है।
उसी तरह जिस मिट्टी में सूरज की गर्मी जल्दी छोड़ देने की क्षमता होती है वह मिट्टी ज्यादा गर्म नहीं रहती और ऐसे ही रेगिस्तान को हमेशा ठंडे रेगिस्तान कहा जाता है। ऐसे रेगिस्तान में पानी की मात्रा थोड़ी ज्यादा पाई जाती है। और जिन रेगिस्तानी इलाकों का शीत ऋतु में तापमान 0 डिग्री तक होता है। वही इलाके ठंडे रेगिस्तान कहललाते है।
दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान कौनसे है?
अंटार्कटिका
अंटार्कटिका पृथ्वी का सबसे दक्षिणी महाद्वीप है। इसमें भौगोलिक दक्षिणी ध्रुव शामिल है। और यह दक्षिणी गोलार्ध के अंटार्कटिक क्षेत्र में स्थित है। लगभग पूरी तरह से अंटार्कटिक सर्कल के दक्षिण में, और दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। यह रेगिस्तान 14,2००,००० वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है।
आर्कटिक
आर्कटिक रेगिस्तान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह रेगिस्तान आर्कटिक में है। जो ठंडा शीतकालीन रेगिस्तान केहलाता है। आर्कटिक रेगिस्तान 13985000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
सहारा
यह अफ्रीकी महाद्वीप का एक मरुस्थल यानी रेगिस्तान है। 9,200,000 वर्ग किलोमीटर यानी 3,600,000 वर्ग मील के क्षेत्र के साथ, यह दुनिया का सबसे बड़ा गर्म रेगिस्तान है। और कुल मिलाकर तीसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है।
अरबी रेगिस्तान
अरबी रेगिस्तान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह रेगिस्तान पश्चिमी एशिया में है। इस रेगिस्तान को उपोष्ण कटिबंधीय रेगिस्तान में शामिल किया गया है। और इस अरबी रेगिस्तान का कुल एरिया 2330000 वर्ग किलोमीटर है।
गोबी रेगिस्तान
गोबी रेगिस्तान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह रेगिस्तान दुनिया के ठंडे रेगिस्तानों में से एक है, यहां तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे तक चला जाता है। गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। यह मरुस्थल संसार के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है। जो कि चौथा रेगिस्तान है। 12,95,000 वर्ग किलोमीटर में यह गोबी रेगिस्तान मौजूद है।
थार रेगिस्तान
दोस्तों थार रेगिस्तान वैसे तो दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान में 17 व नंबर पर है। पर मैं इंडिया का ब्लॉगर हो तो मैंने इंडिया का भी एक रेगिस्तानी हां पर ऐड कर दिया है। थार रेगिस्तान "द ग्रेत डेजर्ट" या फिर महान रेगिस्तान भी कह लाता है। यह रेगिस्तान भारत और पाकिस्तान मैं 200000 वर्ग किलोमीटर में है। और 9वाँ सबसे बड़ा गरम उपोष्णकटिबन्धीय रेगिस्तान है। इसका लगभग 85% भाग भारत में और 15 परसेंट भाग पाकिस्तान में मौजूद है।
मिट्टी बनने कारण क्या होते है?
दोस्तों मिट्टी फिर चाहे वह किसी आम क्षेत्रों में हो या फिर रेगिस्तान जैसे इलाकों में, समंदर के किनारे हो या फिर खेत में हो। वह मिट्टी बनने में कई सालों का समय लगता है। एक चट्टान से प्राकृतिक रूप से मिट्टी बनने के लिए उस चट्टान पर कई सारे बाहरी कार्य होते है।
ऐसे में अगर चट्टान से पूरी तरह मिट्टी में बदलना है तो उसे प्राकृतिक रूप से लाखों करोड़ों साल भी लगते है। आज कई सारी मशीनें आ गई है। जो कि बड़े-बड़े चट्टानों को काटकर उसके टुकड़े करके उन्हें छोटी मिट्टी में बदल देते है। पर रेगिस्तान की मिट्टी के लिए में ऐसा कोई कारण नहीं है। रेगिस्तान की पूरी की पूरी मिट्टी पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से बनी हुई है।
जब बड़ी बड़ी चट्टाने हवा, पानी और धूप से करोड़ों सालों तक गुजरते है। तो वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगते है और टूट कर बिखर जाते है। चट्टान टूटने के बाद उन छोटे-छोटे टुकड़ों को भी लाख सालों तक धूप हवा और पानी की मार को झेलना होता है। तब जाकर एक चट्टान से मिट्टी बन जाती है।
आपको समंदर के किनारे भी कोई मिट्टी मिल जाती है। जिसे रेत कहा जाता है। यह रेत भी उसी तरह बनी होती है। बड़े-बड़े पत्थरों के बीच से पानी जब गुजरता है।तब उस पत्थरों को कई सारे पानी का सामना करना पड़ता है और उससे भी बड़े पत्थर काटने में मदद होती है। जिससे रेत बनती है।
जब बड़े चट्टानों पर हर बार हवा और सूरज की किरने बार-बार पड़ती है। तब वह चट्टान टूटने में ज्यादा ज्यादा समय नहीं लगता है। क्योंकि इन दो प्रक्रिया से ही पत्थर जल्दी टूट जाता है। क्योंकि चट्टान जब बार-बार ठंडी और गर्म होती रहती है। तो उसने एक अलग ही ऊर्जा तैयार होती है। जो उस पत्थर तो दो टुकड़ों में काट देती है।
मिट्टी और रेत के प्रकार कौनसे हैं?
दोस्तों आपको समंदर के किनारे सफेद रेत देखने को मिलती है। तो कई जगह पर लाल या काली मिट्टी दिखाई देती है। अब यह क्यों होता है। तो मैं आपको बता दूं अपने इस पृथ्वी के कई सारे भाग है। जिनमे अलग-अलग रसायन, खनिज और तेल मौजूद है। और इन्हीं का असर पहले चट्टानों पर पड़ता है। और उसके बाद वहां की मिट्टी पर पड़ता है।
जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)
काली मिट्टी (Black Soil)
लाल मिट्टी (Red Soil)
लैटेराइट मिट्टी (बलुई – Laterite Soil)
रेतीली (रेगिस्तानी -Desert Soil) मिट्टी
कुछ इस तरह से भारत और पूरी दुनिया में मिट्टी के प्रकार होते है। इनका वितरण यानी कि अलग-अलग भाग भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग होते है। इन मिट्टियों का इस्तेमाल अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग किया जाता है। और मिट्टी के प्रकार अनुसार उसका दर्जा भी अलग अलग होता है। जिस मिट्टी में केमिकल, रसायन या खनिज की मात्रा ज्यादा होगी वह मिट्टी खेती के उपयोग में नहीं आती है। समंदर की मिट्टी ज्यादातर घर के डिजाइन और फिनीशिंग के लिए इस्तेमाल की जाती है।
रेगिस्तान में इतनी रेत क्यों है?
दोस्तो जहां पर हमें आज रेगिस्तान नजर आते है। पर वहां पर लाखों साल पहले वह रेगिस्तान नहीं हुआ करते थे। वहां पर पहले बड़ी-बड़ी चट्टानें ही हुआ करती थी और यह चट्टाने सूरज की गर्मी और हवा के कारण हमेशा छुट्टी आ रही है। अब जहां पर रेगिस्तान है। उस इलाके में ज्यादातर पानी की समस्याएं होती है। क्योंकि उस जगह पर सूरज की गर्मी ज्यादा पहुंचती है।
आप जितने भी रेगिस्तानी क्षेत्र ले लीजिए आपको वहां पर पानी की समस्या मिल जाती है और सूरज की गर्मी यही कारण है कि वहां पर पानी की कमी होती है। सूरज की गर्मी की वजह से वहां काफी कम मात्रा में पेड़ उगते है। और पानी भी एक जगह पर रुका हुआ नहीं रहता इसका ही असर उन चट्टानों पर पड़ा जहां पर आज रेगिस्तान है।
रेगिस्तान की मिट्टी इतनी बारिक होती है कि कुछ छोटे-छोटे टुकड़ों में या पाउडर की तरह होती है। इतनी छोटी रेत बनने में वैसे भी करोड़ो साल लगे होंगे। अगर देखा जाए तो यह रेगिस्तान कई हजार किलोमीटर तक फैले हुए है। और ऐसे रेगिस्तान में मिट्टी के ढेर होने की वजह रेगिस्तान की रेत का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है । पर हम इन रेगिस्तान को उनके आकार और कितना किलोमीटर फैला है। उसके हिसाब से ही नाप सकते है।
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